रविवार व्रत म...
सर्व मनोकामना पूर्ति हेतु मां संतोषी व्रत का महत्व, पूजन तथा उद्यापन की संपूर्ण विधि।
हिन्दू धर्म के प्रचलित व्रतों में माँ संतोषी का व्रत है जो की शुक्रवार के दिन किया जाता है | सभी वारों का अपना विशेष महत्व है, जिनमे से एक महत्वपूर्ण वा चमत्कारी व्रत संतोषी माता व्रत माना गया है। शुक्रवार के दिन इस व्रत को किया जाता है। प्राचीन काल से मां संतोषी व्रत के द्वारा हुए चमत्कारों की गाथा प्रचलित है।
पवित्र धारणा के अनुसार संतोषी माता के व्रत करने से मनुष्य को मनवांछित इच्छा का फल जल्दी प्राप्त होता है। इसलिए मां संतोषी व्रत की महिमा बहुत लोकप्रिय है।
संतोषी माता के व्रत का महत्व :
संतोषी माता के विधिवत व्रत संपूर्ण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जिन स्त्रियों को पुत्र प्राप्ति नहीं होती है, उन्हे इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। विवाह सुख, संतान सुख और गृह सुख शांति के लिए वा मनुष्य में संतोष बनाए रखने के लिए भी ये व्रत बहुत शुभकारी है।
संतोषी माता के व्रत नियम :
संतोषी माता का व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है। शास्त्रों में नियमानुसार 16 शुक्रवार संतोषी माता के व्रत माने गए है। इस व्रत को शुद्ध मन से पूरी श्रद्धा के साथ संतोषी माता का ध्यान करके करना चाहिए। इस व्रत में सबसे महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बात कि इस व्रत में खटाई का परहेज होता है। इस दिन व्रत करके खट्टी चीजों के सेवन से बचना होता है। भूल से भी खटाई नहीं खानी चाहिए और नाही हाथ लगाना चाहिए।
संतोषी माता के व्रत की पूजन विधि :
संतोषी माता के व्रत के लिए सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजन शुरू करें। जिस शुक्रवार से व्रत शुरू करना है उस दी १६ शुक्रवार करने का संकल्प लें साथ ही जिस मनोकना पूर्ति हेतु व्रत किया है, वह मां के समक्ष बोलें और मां संतोषी से प्रार्थना करें कि हे मां मेरे 16 शुक्रवार के व्रत बिना किसी विघ्न के सम्पूर्ण हों।
इसके पश्चात तांबे के कलश को स्थापित करके उसके ऊपर गुड़ वा चने का प्रसाद रखें। गुड़ वा चने का भोग मां संतोषी को अति प्रिय है। कथा पढ़ते या सुनते वक्त गुड़ वा चने को हाथ में रखना चाहिए। मां संतोषी को कुमकुम का तिलक करें । दीपक वा धूपबत्ती से पूजा अर्चना कर संतोषी माता व्रत कथा पढ़े पूजा अर्चना कर संतोषी माता व्रत कथा पढ़े एवं आरती करें | शाम को अनाज का सात्विक भोजन करके व्रत को खोलें।
संतोषी माता के व्रत की उद्यापन विधि :
व्रत के आखिरी शुक्रवार को संतोषी माता के व्रत का उद्यापन किया जाता है। इस दिन 8 लड़कों को बुलाकर भोजन कराए। भोजन में खीर पूरी पकवान के साथ केले या नारियल का प्रसाद बच्चो को बांटे। उद्यापन के पश्चात बच्चो को दक्षिणा में पैसे नहीं देने चाहिए। बच्चो को कोई वस्तु उपहार स्वरूप दे सकते हैं। साथ ही बच्चो को कहे कि इस दिन कोई खट्टी चीज़ खाने से बचें। व्रत करने वाले के परिवार के लोग भी इस दिन कोई खट्टी चीज नहीं खाएं।
संतोषी माता के व्रत की विशेषता : मां संतोषी संतोष देने वाली हैं। जो कोई सच्चे मन से संतोषी मां के व्रत वा उद्यापन विधि करेगा। मां उसकी झोली खुशियों से भर देंगी।
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