
...
महाशिवरात्रि व्रत महात्म्यत, विधान, पुजाविधि, एवं क्या करें और क्या नही
महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस दिन व्रत के साथ भगवान शिव की विशेष पूजा भी की जाती है। पूरे दिन व्रत रखा जाता है इस दिन ग्रहों में चंद्र, जो जल तत्व का आधार है अपने उच्चतम प्रभाव में रहता है। इसलिए यह व्रत, जिसके अधिष्ठाता देव, देवो के देव महादेव है सभी व्रतों में श्रेष्ठ, जीवन रक्षक, धन-धान्य ,सुख सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है ।
शिव जहां कल्याणकारी है तो दूसरी ओर संघारकारी भी है। महाकाल स्वरूप रात्रि में जहां चारों युगों का अंत समीप होता है, शिव साक्षात धरा पर नवजीवन निर्माण हेतु पधारते है महाशिवरात्रि के रात में। उनकी दिव्य शक्ति चरम बिंदु से प्रवाहित होती है। इसी शक्ति धारणा का नाम महाशिवरात्रि व्रत है। इसे धारण कर हम नवजीवन प्राप्त करते हैं। धाराप्रवाह सौभाग्य शक्ति धन-धान्य हमारे भोलेनाथ प्रकृति में प्रवाहित करते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत भोले भंडारी का है उन्हें किसी खास विधान की आवश्यकता नहीं है। हम अपनी सुविधा अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार बस हृदय से समर्पित हो जाए तो शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं क्योंकि वह भाव के भूखे हैं। यह व्रत हम विस्तार पूर्वक, संक्षिप्त में और सिर्फ भाव पूर्वक भी कर सकते हैं |
1.विस्तार व्रत विधि: 2021 में महाशिवरात्रि 11 मार्च गुरुवार के दिन किया जाएगा। आप बुधवार को शिव मंदिर जाकर विधि पूर्वक शिव जी की पूजा अर्चना करें फिर हाथ में फूल अक्षत लेकर व्रत करने का संकल्प लें और अपने मनोरथ शिव जी से कहें और व्रत निर्विघ्न संपन्न होने की प्रार्थना करें, और हाथ का फूल अक्षत शिवलिंग को समर्पित कर दें।
दूसरे दिन 11 मार्च को नित्य कर्म से निवृत हो करके घर के मंदिर में शिव जी की विधिवत पूजा अर्चना करें एवं शिव आराधना में लगे रहें| दिनभर मानसिक जप करते रहे अपने को प्रसन्न रखें| काम क्रोध से दूर रहें अब शाम को मंदिर जाएं| मंदिर में शिवलिंग को श्रद्धा प्रेम से गंगाजल से जल, मधु, दही और दूध से गन्ने के रस से बारी-बारी से स्नान कराएं। सुविधा हेतु यह सारी सामग्री एक ही में मिलाकर पीतल या तांबे के लोटे में डालकर या मिट्टी के कलश में डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें इस दिन रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं। रुद्राभिषेक के लिए अब पहले से पुरोहित को ठीक कर लें और उनके ही गाइडेंस में आप विधान पूर्वक रुद्राभिषेक करें | शिवलिंग को विधि विधान के साथ स्नान कराने के बाद फूलों की माला और भांग, बेलपत्र आदि अर्पित करने के बाद उन्हें इत्र लगाएं वस्त्र चढ़ाएं और जनेऊ पहनाएं फिर भोग लगाएं भोग में ऋतु फल दूध से बनी मिठाइयां और मेवा अर्पित करें। अब मां पार्वती जी, कार्तिकेय, नंदी और गणेश जी का भी पूजन विधि पूर्वक करें। उन्हें भी वस्त्र सिंगारा प्रसाधन अर्पित करें। उन्हें भी ऋतु फल मिष्ठान भोग लगाएं और धूप दीप दिखाएं।अब आप मनोनुकूल इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं आरती करें , क्षमा प्रार्थना करें।
क्षमा प्रार्थना: आवाहनम न जानामि, न जानामि विसर्जनम, पूजा चैव ना जानामि क्षमास्व परमेश्वर।
फिर सब जगह जल का छीटा दे |
मंत्र - शिव पूजन कर्मणा श्री यज्ञ स्वरूपः शिवः प्रियताम न मम।
शिवरात्रि में रात्रि जागरण का अत्यधिक महत्व बताया गया है | संभव हो तो रात्रि जागरण कर मंत्र जप, भजन कीर्तन, ध्यान साधना करें
2. संक्षिप्त व्रत विधि: शिव रात्रि के दिन सूर्योदय से पहले उठ कर नित्य क्रिया से निवृत हो कर घर के मंदिर में पूजन कर व्रत का संकल्प ले । शाम को मंदिर जाएँ पूजन करें या घर में ही शुद्ध मिट्टी का शिव पार्थिव बनाए और पूजा करे। पंचामृत से स्नान फिर गंगाजल से स्नान कराएं फिर बारी बारी से सभी सामग्री अर्पित करें।
1. ईदम पंचामृत समर्पयामी ।
2. ईदम गंगाजल समर्पयामी
इसी प्रकार सभी सामग्रियों को समर्पित करें।
चंदन, पुष्पहार ,जनेऊ, इत्र, वस्त्र ,भस्म, भांग आदि सभी उपरोक्त मंत्र के साथ पार्थिव शिवलिंग को समर्पित करें। अब प्रसाद अर्पित करें। फिर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें|
फिर शिव जी की आरती एवम क्षमा प्रार्थना करें ।
सबसे उत्तम पूजा विधि (मानसिक पूजा)- अगर आप को कोई सुविधा न हो, कही सफर में हों या कभी कहीं कोई सामान या मंदिर ही न हो तो भी आप सर्वोत्तम व्रत पूजा कर सकते है। वो है मानसिक पूजा।
वेद पुराणों में इसका बहुत महत्व है।
पूजा विधि: स्नान आदि से निवृत हो ,एकांत में शुद्ध आसन पर एकाग्र चित्त हो बैठे। मन को शांत करें। इसके लिए ॐ का उच्चारण करें। फिर शिव बाबा का ध्यान करे मनकी आंखो से देखे शिव बाबा अपने परिवार के साथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में बैठे है। अब ध्यान में ही शिव जी, माँ पार्वती एवं समस्त शिव परिवार की विधिवत पूजा करें। फिर जाप, आरती, क्षमा प्रार्थना करें। फिर कोटि कोटि क्षमा मांगे अपने भूल चूक के लिए।
प्रसन्न भावा ,वरदा भावा।
महाशिवरात्रि के चमत्कारी टोटके: 1. यदि पीपल या बेल के वृक्ष के नीचे पार्थिव बना कर पूजा करे तो मंगल कामनाएं पूरी होती है।
महाशिवरात्रि व्रत में क्या करें और क्या न करें :
इस तरह महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लेने के बाद पूरे दिन शिवजी का ध्यान करें। दिनभर मन को शांत रखने की कोशिश करें। यानी गुस्से और चिढ़चिढ़ेपन से बचने की कोशिश करें। कम बोलें और झूठ न बोलें। इसके साथ ही पूरे दिन व्रत के समय मन में काम भावना न आने दें। दिनभर शिवजी की पूजा कर सकते हैं, लेकिन शाम को प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त के समय शिवजी की विशेष पूजा करें और रातभर जागरण कर के चारों प्रहर में पूजा करने की कोशिश करें।
Raksha Bandhan 2023: राखी का त्यौहार प्रत्येक वर्ष सावन माह के श...
Hartalika Teej 2023: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि क...
(Kaminka Ekadashi 2023) हिन्दू पंचांग के अनुसार, चातु...
Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा का पर्व हिन्दू पंचांग क...
Mesh Weekly Rashifal / Aries Weekly Prediction Auspicious: The beginning of the week will be very special. There may be pro...