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Holi


होली 2021 में कब है ? होली एवं होलिका दहन शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि एवं होली से जुड़ी पौराणिक कथा 

होली हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे भारत के हर हिस्से में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में हिन्दुओ द्वारा बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है | होली का त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार फागुन माह के कृष्णा पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है जो की इस वर्ष 21 मार्च सोमवार के दिन पड़ रहा है | होली का त्यौहार 2 दिनों का होता है, पहले दिन होलिका दहन अर्थात छोटी होली मनाई जाती है और  दूसरे दिन रंग वाली होली खेली जाती है जिसे धुलण्डी भी कहते है | 

होलिका दहन विधि :
होली के एक दिन पहले अर्थात छोटी होली वाले दिन सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका पूजन कर होलिका दहन किया जाता है | होलिका दहन में शुभ मुहूर्त का अत्यधिक महत्व है | ऐसी मान्यता है की शुभ मुहूर्त में होलिका पूजन करने से मनुष्य के सभी रोग, बीमारी एवं कष्टों का नाश होता है तथा जातक को जीवन में धन, सुख-समृद्धि एवं सफलता की प्राप्ति होती है | होलिका पूजन परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ मिल कर करना चाहिए |  होलिका पूजन के लिए पूजा की थाली में रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सुता, गुड़, हल्दी साबुत, मुंग, बताशे, गेहू की बालियां , जौ, घर में बने पकवान, पानीवाला नारियल, कपूर एक पानी का लोटा आदि सामान रखें साथ ही गोबर के कंडे से 5 माला भी बना लें (१  माला पितृ के नाम की, १ माला विष्णु जी की, १ माला हनुमान जी की, १ माला शीतला माता की और एक माला परिवार के लिए ) |  इसके बाद परिवार सहित होलिका दहन वाले स्थान पर जाये | होलिका को प्रणाम करें | होलिका की पूजा करे | होलिका को रोली,पुष्प, प्रशाद, जल अर्पित करे और इसके बाद होलिका की परिक्रमा करते हुए कच्चा सुता लपेटे और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें | परिक्रमा विषम संख्या में 3, 5, 7,11, 21 बार कर सकते है | नारियल को परिवार के सभी सदस्यों पर से 11 बार वार कर होलिका में डाल दें साथ ही गेहूँ की बलिया भी होलिका की अग्नि में पकाये और प्रशाद के  रूप में परिवार के सभी सदस्य खाएं | होलिका दहन के राख का भी अत्यधिक महत्व बताया गया है | नारद पुराण के अनुसार होलिका दहन के दूसरे दिन अर्थात होली वाले दिन प्रातः काल शुद्ध होकर देवताओ एवं अपने पितरो की पजा कर होलिका की रख घर लाये और इस रख से परिवार के सभी सदस्य टिका करें इससे मनुष्य की सभी बुरी शक्तियों से रक्षा होती है | 


होली शुभ मुहूर्त एवं शुभ योग 
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल होली २९ मार्च सोमवार के दिन मनाई जाएगी | इस साल होली पर धुव योग का निर्माण हो रहा है | 
होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को किया जायेगा 
होलिका दहन मुहूर्त - 06:36 पी एम से 08:56 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 20 मिनट्स
भद्रा पूँछ - 10:13 ए एम से 11:16 ए एम
भद्रा मुख - 11:16 ए एम से 01:00 पी एम
होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - मार्च 28, 2021 को 03:27 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - मार्च 29, 2021 को 12:17 ए एम बजे
होली सोमवार, मार्च 29, 2021 को
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - मार्च 28, 2021 को 03:27 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - मार्च 29, 2021 को 12:17 ए एम बजे

होली का त्यौहार सभी गिले शिकवे भूल कर सभी को गले लगाने का त्यहार मन जाता है | इस दिन लोग एक दूसरे को रंग , अबीर, गुलाल लगाते है, साथ ही ढोल बजाते हुए होली के लोक गीत गाते और नृत्य करते है | सभी एक दूसरे के घर जाते है और रगो की होली खेलते है | इस दिन सभी घरों में भारतीय पारम्परिक पकवान बनाये जाते है | होली के दिन दोपहर में स्नान कर फिर शाम को सब लोग नए कपडे पहन अपने बड़ो और पूर्वजो को गुलाल समर्पित करने के बाद एक दूसरे के घर जाते है, गले मिलते है मिठाइयाँ खिलते है |  होली का त्यौहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाये प्रचलित है | 


होलिका दहन की कथा : होलिका दहन से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में असुर राज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था | ये बात असुर राज हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं थी | उसने प्रह्लाद को भगवन विष्णु की भक्ति छोड़ने लिए कहा पर वह न माना | अंत में हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के गोद में बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया | परन्तु होलिका अग्नि में जल कर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद भगवन विष्णु की कृपा से सुरक्षित रहे | तभी से होली पर्व मनाने और होलिका दहन करने की परंपरा है | 
                    होली के पर्व को राधा-कृष्णा के पवन प्रेम के याद में भी मनाया जाता है | जिन स्थानों पर भगवन श्री कृष्ण ने बालपन की लीलाये की थी जैसे की मथुरा, वृन्दावन, बरसाना आदि को ब्रज के नाम से जाना जाता है और वहाँ की होली दुनिया भर में मशहूर है | 

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